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Quran - The Audio Recitations

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कुरआन 1:7 (सूरह अल-फातिहा, आयत 7) की विस्तृत व्याख्या

कुरआन 1:7 (सूरह अल-फातिहा, आयत 7) की विस्तृत व्याख्या

 صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ

(सिरातल्लजीना अनअम्ता अलैहिम, गैरिल मग्दूबि अलैहिम वलद्दाल्लीन)
अर्थ: "उन लोगों का मार्ग जिन पर तूने नेमत (अनुग्रह) किया, न कि उनका जिन पर तेरा प्रकोप हुआ और न ही गुमराहों का।"


1. आयत का सामान्य परिचय

  • यह सूरह अल-फातिहा की अंतिम आयत है जो तीन प्रकार के लोगों का वर्णन करती है:

    1. अनअम्ता अलैहिम (जिन पर अल्लाह की नेमत हुई)

    2. अल-मग्दूबि अलैहिम (जिन पर प्रकोप हुआ)

    3. अद-दाल्लीन (गुमराह लोग)

  • यह आयत सिरात-ए-मुस्तकीम (सीधे मार्ग) की और अधिक स्पष्ट व्याख्या करती है।


2. शब्दों की गहरी व्याख्या

(क) "सिरातल्लजीना अनअम्ता अलैहिम" (صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ)

  • अर्थ: "उनका रास्ता जिन पर तूने नेमत (अनुग्रह) किया"

  • कौन हैं ये लोग?

    • कुरआन 4:69 के अनुसार:

      1. नबी (पैग़म्बर)

      2. सिद्दीक़ (सच्चे ईमान वाले)

      3. शहीद (अल्लाह के रास्ते में शहीद हुए)

      4. सालेहीन (नेक लोग)

(ख) "गैरिल मग्दूबि अलैहिम" (غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ)

  • अर्थ: "न कि उनका जिन पर प्रकोप हुआ"

  • कौन हैं ये लोग?

    • वे लोग जो जानते-बूझते सच्चाई को ठुकराते हैं (जैसे कुछ यहूदी जिन्होंने जानबूझकर अल्लाह के आदेशों को नहीं माना)।

(ग) "वलद्दाल्लीन" (وَلَا الضَّالِّينَ)

  • अर्थ: "और न ही गुमराहों का"

  • कौन हैं ये लोग?

    • वे लोग जो अज्ञानता या ग़लतफहमी में भटक गए (जैसे ईसाई जो त्रिमूर्ति में विश्वास करते हैं)।


3. आयत का गहरा संदेश

(क) सही मार्गदर्शन की पहचान

  • अल्लाह हमें नेक लोगों के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है:

    • पैग़म्बरों का अनुसरण

    • सच्चे ईमान वालों की संगति

(ख) दो प्रकार के गुमराह लोग

  1. अल-मग्दूबि अलैहिम:

    • जानबूझकर अवज्ञा करने वाले (जैसे फिरऔन)।

    • इन पर अल्लाह का ग़ुस्सा उतरता है।

  2. अद-दाल्लीन:

    • अज्ञानता या भ्रम में पड़े लोग।

    • इन्हें सही मार्गदर्शन की ज़रूरत है।

(ग) व्यावहारिक शिक्षा

  • सच्चाई को जानने के बाद उससे मुँह न मोड़ें (वरना प्रकोप के भागी बनेंगे)।

  • अज्ञानता में न रहें - इस्लाम का ज्ञान प्राप्त करें (ताकि गुमराह न हों)।


4. व्यावहारिक जीवन में अनुप्रयोग

(क) रोज़मर्रा की ज़िंदगी में

  1. दुआ में: हमेशा नेक लोगों के मार्ग पर चलने की प्रार्थना करें।

  2. सोच-विचार: अपने कर्मों को जाँचें - कहीं हम प्रकोप वालों या गुमराहों में तो नहीं?

  3. शिक्षा: कुरआन और हदीस का अध्ययन करें ताकि ग़लत मार्ग पर न जाएँ।

(ख) आध्यात्मिक लाभ

  • ईमान की सुरक्षा: इस आयत को समझने से बिदअत (नवाचार) और शिर्क से बचाव होता है।

  • अल्लाह की रहमत: नेक लोगों के मार्ग पर चलने से जन्नत की प्राप्ति होती है।

(ग) सामाजिक संदेश

  • सहिष्णुता: गुमराह लोगों से नफ़रत नहीं, बल्कि हिदायत की दुआ करें।

  • आत्म-मंथन: समाज में फैली बुराइयों से बचें (जैसे झूठ, धोखा, बेईमानी)।


5. विद्वानों (उलमा) की राय

(क) इब्ने कसीर की तफ़सीर

  • "यह आयत मुसलमानों को यहूदियों और ईसाइयों के गुमराह तरीक़ों से सावधान करती है।"

(ख) इमाम अल-ग़ज़ाली

  • "जो 'गैरिल मग्दूबि अलैहिम वलद्दाल्लीन' को समझ लेता है, वह हर ग़लत मार्ग से बच जाता है।"

(ग) मौलाना मौदूदी

  • "यह आयत मनुष्य को सिखाती है कि सच्ची सफलता सिर्फ़ अल्लाह के नेक बंदों के मार्ग पर चलने से मिलती है।"


6. निष्कर्ष

  1. नेक लोगों का अनुसरण करो - पैग़म्बरों और सच्चे मोमिनों का मार्ग अपनाओ।

  2. प्रकोप वालों से बचो - जानबूझकर अल्लाह की अवज्ञा मत करो।

  3. गुमराहों का मार्ग छोड़ो - अज्ञानता में न रहो, इस्लाम का ज्ञान प्राप्त करो।

दुआ:
"ऐ अल्लाह! हमें उन लोगों के मार्ग पर चलाएँ जिन पर तूने नेमत डाली, न कि प्रकोप वालों या गुमराहों के मार्ग पर। आमीन!"