कुरआन 2:12 (सूरह अल-बक़रह) - विस्तृत व्याख्या
कुरआन 2:12 (सूरह अल-बक़रह) - विस्तृत व्याख्या
🔹 आयत का अरबी पाठ:
أَلَا إِنَّهُمْ هُمُ الْمُفْسِدُونَ وَلَٰكِن لَّا يَشْعُرُونَ
🔹 हिंदी अनुवाद:
"सुन लो! वास्तव में वही फसाद (बिगाड़) फैलाने वाले हैं, लेकिन उन्हें इसका एहसास नहीं है।"
📖 आयत की गहन व्याख्या (Tafseer)
1. संदर्भ (Context)
यह आयत मुनाफ़िक़ीन (पाखंडियों) के बारे में है जो पिछली आयत (2:11) में चर्चित थे।
वे दिखावे के लिए मुसलमान बने थे, लेकिन वास्तव में अराजकता, झूठ और फितना फैलाते थे।
जब उन्हें उनकी गलतियों पर टोका जाता, तो वे "हम तो सुधारक हैं" कहकर अपने आप को बचाने की कोशिश करते थे।
इस आयत में अल्लाह उनकी वास्तविकता उजागर करता है।
2. मुख्य बिंदु (Key Points)
🔸 "वास्तव में वही फसाद फैलाने वाले हैं"
मुनाफ़िक़ीन समाज में फितना (फूट), झूठ और अविश्वास फैलाते थे।
उनका असली मकसद मुसलमानों को कमज़ोर करना था, न कि सुधार करना।
आज के संदर्भ में:
जो लोग धर्म के नाम पर गलतफहमियाँ फैलाते हैं।
जो समाज में हिंसा, भ्रष्टाचार और अनैतिकता को बढ़ावा देते हैं।
🔸 "लेकिन उन्हें इसका एहसास नहीं है"
मुनाफ़िक़ीन अपनी गलती समझने से इनकार करते थे।
वे सोचते थे कि वे अच्छा काम कर रहे हैं, जबकि वास्तव में वे अल्लाह के कोप के भागी बन रहे थे।
मनोवैज्ञानिक पहलू:
इंसान जब बुराई में डूब जाता है, तो उसे अपनी गलती का एहसास नहीं होता।
जैसे ईगो (अहंकार) उसे सच देखने से रोकता है।
3. सबक (Lessons from the Ayah)
✅ 1. अपने इरादों की जाँच करें
क्या हम वाकई अल्लाह की रज़ा के लिए काम कर रहे हैं, या सिर्फ़ दिखावे के लिए?
हदीस:
"कर्मों का दारोमदार नियत (इरादे) पर है।" (बुखारी)
✅ 2. फितने से बचें
फसाद (बिगाड़) सिर्फ़ हिंसा नहीं, बल्कि झूठ, धोखा और अफवाहें फैलाना भी है।
कुरआन 28:83 में अल्लाह कहता है:
"ये (सफल) घर आख़िरत का है, हम उसे उन्हीं के लिए बनाते हैं जो धरती में ऊंचाई नहीं चाहते और न फसाद (बिगाड़)।"
✅ 3. गुमराही से बचने की दुआ
अल्लाह से मांगें कि हमें सच्चाई दिखाए और झूठ से बचाए।
दुआ:
"ऐ अल्लाह! मुझे हक़ (सच) दिखा और उसकी तौफ़ीक़ दे, और बातिल (झूठ) से बचा।"
4. आज के युग में प्रासंगिकता
🔄 1. सोशल मीडिया और फितना
आज झूठी खबरें, धार्मिक विवाद और नफ़रत फैलाना भी एक तरह का फसाद है।
मुसलमान का फर्ज़ है कि वह सच्चाई का साथ दे, न कि अफवाहों में शामिल हो।
🔄 2. राजनीति और पाखंड
कुछ लोग धर्म का इस्तेमाल सत्ता पाने के लिए करते हैं, जो मुनाफ़िक़ीन जैसा व्यवहार है।
🔄 3. व्यक्तिगत जीवन में सुधार
क्या हम अपने परिवार और समाज में शांति फैलाते हैं या तनाव?
हदीस:
"सच्चा मुसलमान वह है जिसके हाथ और जुबान से दूसरे सुरक्षित रहें।" (तिर्मिज़ी)
🎯 निष्कर्ष (Conclusion)
इस आयत से हमें दो महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं:
फितने से बचो – चाहे वह बड़ा हो या छोटा।
अपने आप को जाँचो – कहीं हम भी अनजाने में बिगाड़ फैलाने वालों में तो नहीं?
अल्लाह हमें सच्चाई की राह पर चलने की तौफ़ीक़ दे। (आमीन)