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Quran - The Audio Recitations

Bless yourself and surroundings with the soulful Recitation Voices of the Holy Quran

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कुरआन 2:14 (सूरह अल-बक़रह) - विस्तृत व्याख्या

कुरआन 2:14 (सूरह अल-बक़रह) - विस्तृत व्याख्या

 🔹 आयत का अरबी पाठ:

وَإِذَا لَقُوا الَّذِينَ آمَنُوا قَالُوا آمَنَّا وَإِذَا خَلَوْا إِلَىٰ شَيَاطِينِهِمْ قَالُوا إِنَّا مَعَكُمْ إِنَّمَا نَحْنُ مُسْتَهْزِئُونَ

🔹 हिंदी अनुवाद:
"और जब वे ईमान वालों से मिलते हैं तो कहते हैं: 'हम ईमान लाए', और जब अपने शैतानों (नेताओं) के पास अकेले होते हैं तो कहते हैं: 'निश्चय हम तुम्हारे साथ हैं, हम तो सिर्फ मज़ाक कर रहे थे'"

🔍 5 प्रमुख बिंदु:

  1. पाखंड की पहचान (Identification of Hypocrisy)

    • ये लोग समय और हालात के अनुसार अपना रंग बदलते थे

    • आज के संदर्भ में: ऑफिस में सेक्युलर, घर पर धार्मिक दिखने वाले लोग

  2. मनोवैज्ञानिक विश्लेषण (Psychological Aspect)

    • इनके व्यवहार में "कॉग्निटिव डिसोनेंस" (मानसिक असंतुलन) देखा जा सकता है

    • हदीस: "मुनाफिक की तीन निशानियाँ: बोले तो झूठ, वादा करे तो तोड़े, अमानत में खयानत करे" (बुखारी)

  3. सामाजिक प्रभाव (Social Impact)

    • ऐसे लोग समाज में विष बोते हैं

    • मस्जिद में अल्लाह का जिक्र करते हैं, लेकिन काफिरों के साथ मिलकर मुसलमानों के खिलाफ साजिशें रचते हैं

  4. आध्यात्मिक खतरा (Spiritual Danger)

    • कुरआन 4:145 में चेतावनी: "मुनाफिकीन जहन्नम की सबसे निचली तह में होंगे"

    • इनका ईमान सिर्फ जुबान तक सीमित, दिल तक नहीं पहुँचता

  5. समकालीन प्रासंगिकता (Modern Relevance)

    • सोशल मीडिया पर दोहरी जिंदगी: फेसबुक पर नमाज़ की तस्वीरें, व्हाट्सएप ग्रुप्स में इस्लाम पर संदेह

    • राजनीतिक पाखंड: वोट बैंक के लिए मस्जिदों में जाना, लेकिन नीतियों में इस्लाम विरोधी रुख

💡 3 प्रैक्टिकल सबक:

  1. आत्म-जांच (Self Audit)

    • क्या हमारा व्यवहार हर जगह एक जैसा है?

    • हदीस: "जिसने अपने बाहरी और आंतरिक रूप को एक कर लिया, अल्लाह उसे पूर्ण बना देगा" (इब्न हिब्बान)

  2. सच्ची मुस्लिम पहचान (Authentic Muslim Identity)

    • पब्लिक और प्राइवेट लाइफ में एकरूपता

    • कुरआन 33:70: "ऐ ईमान वालो! अल्लाह से डरो और सही बात कहो"

  3. समाज से पाखंड मिटाने का तरीका

    • नमाज़े जमाअत में नियमित शिरकत से इख्लास (ईमान की सच्चाई) बढ़ती है

    • दुआ: "ऐ अल्लाह! मेरे दिल में निफाक (पाखंड) न डाल" (मुस्लिम)

⚡ चौंकाने वाला तथ्य:

इब्न कसीर के तफ्सीर में बताया गया है कि मदीना के मुनाफिकीन ने अपने गुप्त मीटिंग स्थल बना रखे थे जहाँ वे मुसलमानों के खिलाफ योजनाएँ बनाते थे